
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन (फोटो साभार: (X@TheHourlyPostIN)
पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के संस्थापक शिबू सोरेन का गंगा राम अस्पताल में निधन हो गया। 81 वर्षीय सोरेन लंबे समय से किडनी की समस्या से जूझ रहे थे। वर्ष 2000 में झारखंड राज्य के गठन के बाद शिबू सोरेन ने तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी संभाली। वहीं राज्यसभा में शिबू सोरेन की स्मृति में मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, वो जून के आखिरी सप्ताह से ही सर गंगाराम अस्पताल में भर्ती थे। शिबू सोरेन तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे और लोकसभा – राज्यसभा में भी राज्य का प्रतिनिधित्व किया। अलग झारखंड राज्य के गठन में उनका बड़ा योगदान रहा। उनके बेटे और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन शुक्रवार को ही राँची से दिल्ली पहुँच गए थे।
राज्यसभा सदस्य शिबू सोरेन के निधन पर राज्यसभा में कार्यवाही शुरू होते ही शोक व्यक्त किया गया। उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होते ही हरिवंश ने शिबू सोरेन के निधन की सूचना दी गई और शोक व्यक्त करने के बाद उनके सम्मान में कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी।
Obituary Reference made by Dy. Chairman #RajyaSabha on Passing away of #ShibuSoren, Member of #RajyaSabha. pic.twitter.com/YX6IEAX0Qu
— SansadTV (@sansad_tv) August 4, 2025
झारखंड की राजनीति के सबसे बड़े चेहरे और झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अगुआ रहे शिबू सोरेन ने सत्तर के दशक में ‘धनकटनी आंदोलन’ और शराबबंदी जैसे आंदोलनों के जरिए आदिवासी समाज की आवाज उठाई। ‘दिशोम गुरु’ और ‘गुरुजी’ की पहचान रखने वाले शिबू सोरेन ने ST समाज के हक के लिए कई आंदोलन किए।
1970 के दशक में उन्होंने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) की स्थापना की। उनका मुख्य मकसद अलग झारखंड राज्य बनवाना था। इसके लिए उन्होंने जल, जंगल और जमीन के हक में आंदोलन शुरू किया। शिबू सोरेन की पहचान सिर्फ एक राजनेता के रूप में नहीं, बल्कि एक जननायक के रूप में रही है जिन्होंने आदिवासी अस्मिता को पहचान दिलाई।
शिबू सोरेन ने 1980, 1989, 1991, 1996, 2002, 2004, 2009 और 2014 में दुमका लोकसभा सीट के लिए चुनावी जीत हासिल की। इसके अलावा को तीन बार राज्यसभा के लिए भी चुने गए। साथ ही वे केंद्र सरकार में मंत्री भी रहे। 2 मार्च 2005 को शिबू सोरेन पहली बार झारखंड के सीएम बने थे।