
(फोटो साभार: X@ETVBharatUK)
उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय परीक्षा को रद्द करने का बड़ा फैसला लिया गया है। तीन महीने के भीतर दोबारा परीक्षा कराई जाएगी। जल्द ही इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए जाएंगे। शनिवार (11 अगस्त 2025) को जांच के लिए गठित एकल सदस्यीय जांच आयोग ने अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंपी।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को छात्रों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए निरस्त कर दिया गया है। यह निर्णय जांच आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए लिया गया है, ताकि राज्य में परीक्षाओं की शुचिता, पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनी रहे।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखण्ड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग (UKSSSC) द्वारा 21 सितंबर को आयोजित स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा को छात्रों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए निरस्त कर दिया गया है। यह निर्णय जांच आयोग की रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए लिया गया है,…
— Uttarakhand DIPR (@DIPR_UK) October 11, 2025
सीएम धामी ने कहा, “पुनः आयोजित होने वाली यह परीक्षा अन्य परीक्षाओं के कार्यक्रम पर कोई असर नहीं डालेगी। उत्तराखंड में हर छात्र के लिए निष्पक्ष अवसर और भरोसेमंद परीक्षा प्रणाली सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता है। हमने नकल प्रकरण की जाँच के लिए सीबीआई की संस्तुति कर दी है, हमारी सरकार छात्रों के भविष्य और अभिभावकों के विश्वास के साथ किसी भी तरह का खिलवाड़ नहीं होने देगी।
बता दें, कि 21 सितंबर को उत्तराखंड अधीनस्थ सेवा चयन आयोग की स्नातक स्तरीय भर्ती परीक्षा आयोजित कराई गई थी। जिसमें करीब एक लाख पांच हजार अभ्यर्थी शामिल हुए थे, लेकिन परीक्षा केंद्र के भीतर से पेपर के तीन पेज व्हाट्सएप के माध्यम से बाहर भेजे जाने का मामला सामने आने के बाद यह परीक्षा विवादों में आ गई।
पेपर लीक प्रकरण के बाद उत्तराखंड बेरोजगार संघ के बैनर तले प्रदेश के युवा धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। इस मामले में छात्रों ने परीक्षा रद्द करने और सीबीआई जांच की मांग को लेकर आंदोलन किया था, जिसके बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद आंदोलन स्थल पर पहुंचे थे और सीबीआई जांच की घोषणा की थी।
सीएम धामी ने मामले में एसआईटी गठन के साथ ही उत्तराखंड उच्च न्यायालय से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति यूसी ध्यानी की अध्यक्षता वाले एकल सदस्यीय जांच आयोग का गठन भी किया था। जांच आयोग ने सभी जगह हुए जनसंवाद के आधार पर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर सरकार द्वारा परीक्षा रद्द करने को लेकर बड़ा फैसला लिया गया है।