
कोरोना महामारी की दूसरी लहर में एक के बाद एक कई बुरी खबरें सामने रही हैं उत्तराखंड ऋषिकेश स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती पर्यावरणविद पदमविभूषण एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी सुंदर लाल बहुगुणा का 94 साल की उम्र में देहांत हो गया है। गांधीवादी एवं चिपको आंदोलन के प्रणेता सुंदरलाल बहुगुणा कोरोना से संक्रमित थे।
एम्स ऋषिकेश के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल द्वारा बताया गया कि सुंदरलाल बहुगुणा का शुक्रवार की दोपहर निधन हो गया। कोरोना से संक्रमण की वजह से उन्हें बीती आठ मई को एम्स ऋषिकेश में दाखिल किया गया था। अस्पताल में उन्हें आईसीयू में जीवन रक्षक प्रणाली में रखा गया था। उनके शरीर में ऑक्सीजन का स्तर बीती शाम से गिरने लगा था। चिकित्सक निरंतर उनकी स्वास्थ्य संबंधी निगरानी कर रहे थे। परन्तु तमाम प्रयासों के बाद भी शुक्रवार की दोपहर पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा ने अस्पताल में अंतिम सांस ली।
पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा का जन्म नौ जनवरी 1927 को देवभूमि उत्तराखंड के टिहरी में स्थित मरोडा गांव पर हुआ था। प्राथमिक शिक्षा उत्तराखंड टिहरी से करने के बाद वे उच्च शिक्षा के लिए लाहौर चले गए।1949 में मीराबेन व ठक्कर बाप्पा के सम्पर्क में आने के बाद ये दलित वर्ग के विद्यार्थियों के उत्थान के लिए प्रयासरत हो गए। उनके द्वारा पुरानी टिहरी में ठक्कर बाबा छात्रावास की स्थापना भी की। दलितों को मंदिर प्रवेश का अधिकार दिलाने के लिए उन्होंने आन्दोलन की शुरुवात की।
दुनिया भर में चिपको आन्दोलन के जरिये वे वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध हो गए। अपनी धर्मपत्नी श्रीमती विमला नौटियाल के सहयोग से इन्होंने ‘पर्वतीय नवजीवन मण्डल’ नामक संस्था की स्थापना की। इसके साथ ही 1971 में शराब की दुकानों को खोलने के विरोध में सुंदरलाल बहुगुणा ने सोलह दिन तक अनशन भी किया था।
उत्तराखंड टिहरी में बने बांध के विरोध में उन्होंने काफी समय तक आमरण अनशन भी किया। सुन्दरलाल बहुगुणा द्वारा पेड़ों को काटने की अपेक्षा उन्हें लगाने के विचार पर अधिक बल दिया है। सुन्दरलाल बहुगुणा के द्वारा पर्यावरण से सम्बंधित कार्यों से प्रभावित होकर अमेरिका की फ्रेंड ऑफ नेचर नामक संस्था ने 1980 में उन्हें सम्मानित किया गया। इसके अलावा उन्हें देश विदेश में कई सारे पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है ।
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने पर्यावरणविद् सुंदरलाल बहुगुणा के निधन पर गहरा शोक व्यक्त हुए इसे देश की अपूरणीय क्षति बताया है। उन्होंने कहा कि, पहाड़ों में जल, जंगल और जमीन के मसलों को अपनी प्राथमिकता में रखने वाले और रियासतों में जनता को उनका हक दिलाने वाले श्री बहुगुणा जी के प्रयास सदैव याद रखे जाएंगे।
चिपको आंदोलन के प्रणेता, विश्व में वृक्षमित्र के नाम से प्रसिद्ध महान पर्यावरणविद् पद्म विभूषण श्री सुंदरलाल बहुगुणा जी के निधन का अत्यंत पीड़ादायक समाचार मिला। यह खबर सुनकर मन बेहद व्यथित हैं। यह सिर्फ उत्तराखंड के लिए नहीं बल्कि संपूर्ण देश के लिए अपूरणीय क्षति है। pic.twitter.com/j85HWCs80k
— Tirath Singh Rawat (@TIRATHSRAWAT) May 21, 2021