
राजधानी देहरादून में बीते शनिवार से शुरू हुई मानसूनी मूसलाधार बरसात ने दून के अधिकतर इलाकों में आम नागरिको के जीवन को पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर दिया। देहरादून के नजदीकी इलाको में हुई भारी बरसात चलते राजधानी में जलभराव की गंभीर संकट पैदा हो गया है। भारी बारिश से बिंदाल और रिस्पना जैसी नदियों के निकट की बस्तियों में रहने वाले लोगों का दिल दहल गया है।
देहरादून (Dehradun) में लगातार दो दिनों से भारी बारिश के चलते कई स्थानों में मलबा और बड़े -बड़े पत्थर आने से स्थानीय निवासियों के साथ ही पर्यटकों को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। भीषण बारिश के चलते शहर के कई मकान क्षतिग्रस्त हो गए है। वहीं शासन प्रशासन के पास शहर के नागरिको को जलभराव की इस विकट परिस्थिति से बचाने के लिए खोखले आश्वासन के अलावा कोई प्लान नहीं है।
भारी बारिश के चलते देहरादून की सड़के तालाब बन गयी है, वहीं कई स्थानों में लोगो के घरो में बरसात का पानी घुसने से उनका जीवन अस्त व्यस्त हो गया है। हालाँकि अभी तक किसी दुर्भाग्यपूर्ण घटना की सूचना नहीं है। परन्तु मानसून की भारी बारिश नागरिको के जीवन में आफत बनकर बरस रही है।
देहरादून के प्रमुख चौक चौराहे दर्शनलाल चौक,घंटाघर समेत कई मुख्य स्थान तालाब बन गए है। जिस कारण आम लोगो को आवाजाही में कठनाई का सामना करना पड़ रहा है। शहर का मुख्य व्यवसायिक केंद्र पलटल बाजार की दुकानों के भीतर बारिश का पानी घुस कर सामान को नुकसान पंहुचा रहा है। जिस कारण व्यापारी वर्ग स्मार्ट सिटी के कार्यो से खासे नाराज चल रहे है।
उत्तराखंड (Uttarakhand) की राजधानी देहरादून को बरसात के समय जलभराव से छुटकारा दिलाने के लिए पेयजल निगम ने 2008 में लगभग 300 करोड़ रूपये का मास्टर प्लान प्रशासन के पास भेजा था। प्रशासन के उच्च अधिकारियों को मास्टर प्लान का बजट उस वक्त काफी भारी भरकम लगा था। जिस कारण इसे उदासीनता के चलते ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था।
प्रसाशन की उदासीनता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है, कि साल दर साल मानसून में तालाब बनती देहरादून की सड़को से आमजन को होने वाली दिक्कतों की अनदेखी की गयी और यह महत्वपूर्ण विषय विगत तेरह वर्षो से मात्र चर्चा का विषय बनकर रह गया। वर्ष 2008 में बने ड्रेनेज मास्टर प्लान आज फाइलों में दफन हो चुका है।
जानकारी के अनुसार प्रशासन द्वारा देहरादून के लिए जल्द से जल्द नया ड्रेनेज मास्टर प्लान बनाने को कहा गया है। हालाँकि बताया जा रहा है, कि छह महीने पहले इस कार्य योजना पर काम शुरू हो गया था। परन्तु कोरोना संक्रमण के चलते इस कार्य में देरी हो गयी थी।
उत्तराखंड राज्य की 21 वर्षो से अस्थायी राजधानी देहरादून में विकास के मोर्चे पर कोई भी सरकार सुनियोजित मास्टर प्लान आज तक लागू नहीं कर पायी है। और घोषणाये मात्र प्लानिंग तक ही सीमित रही है। बहरहाल शहरों की अपेक्षा ग्रामीण क्षेत्रों में मानसून की बरसात धान की खेती करने वालो के लिए वरदान साबित हुई है।