
देवभूमि उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र केदारघाटी में वर्ष 2013 की 16 व 17 जून को आयी जलप्रलय रूपी आपदा की यादें अभी उत्तराखंडी जनमानस की स्मृति से मिटी भी नहीं थी, कि बीते रविवार 7 फरवरी को चमोली जनपद के सीमांत गांव रैणी में ग्लेशियर टूटने की घटना ने एक बार फिर से सम्पूर्ण उत्तराखंड को दहला दिया।
उत्तराखंड राज्य के चमोली जनपद स्थित सीमांत गांव रैणी में ऋषिगंगा एवं धौलीगंगा में आये आकस्मिक उफान की स्थिति के कारणों की आने वाले दिनों में समीक्षा की जाएगी। संभवतः नदियों पर बनी झील और फिर उसका प्रलय बनकर टूटना से लेकर ग्लेशियर के दरकने की परिस्तिथियों का विशेषज्ञों द्वारा विश्लेषण किया जायेगा। परन्तु प्रारंभिक रूप से इससे संतोष किया जा सकता है,कि अगर यह घटना दिन के बजाये रात को घटित हो जाती तो इसके परिणाम अधिक विनाशकारी होते।
गौरतलब है की ऋषिगंगा नदी चौड़ाई अधिक ना होने की वजह से मात्र दस किलोमीटर पर स्थित ऋषिगंगा विष्णुगाड परियोजना का पूर्ण रूप से नामो-निशान मिट गया है। इसका कारण ग्लेशियर टूटने की वजह से नदी का जलस्तर अचानक कई गुना बढ़ गया था। हालांकि परियोजना के आगे नदी का प्रवाह कम हो जाता है। ऋषिगंगा और धौलीगंगा परियोजना के क्षेत्र में काफी अधिक मात्रा में ग्लेशियर का मलबा जमा है। यह मलबा ताजा अवस्था में मौजूद है,और इसी ग्लेशियर के मलबे के नदी के बहाव के साथ आ जाने के कारण अधिक नुकसान का कारण बना।
ऋषिगंगा नदी पर बने हाइड्रो प्रोजेक्ट को रन ऑफ़ रिवर की तकनीक के आधार पर बनाया गया है। इसका तात्पर्य यह है, कि बिजली उत्पादन के लिए पानी को रोक कर बांध नहीं बनाया गया है। परन्तु प्रश्न यह उठता है? कि फिर किस प्रकार नदी के तेज बहाव के कारण परियोजना पूर्ण रूप ध्वस्त हो गयी। विशेषज्ञों का मानना है कि कृत्रिम झील के निर्माण की वजह से नदी के प्रवाह को बाधा पहुंची है। परियोजना से पहले ही ग्लेशियर के टूट कर नदी के मार्ग में झील का निर्माण किया होगा और फिर झील के टूट जाने के बाद वह प्रलय बनकर टूट पड़ी।
ऋषिगंगा नदी के उफान के कारण घटित जलप्रलय की घटना से कई घरो के चिराग बुझ गए। परन्तु प्रशासन द्वारा चलाये गए युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य की वजह से कई जीवन बचा लिए गए। उत्तराखंड में आयी इस जलप्रलय आपदा का संज्ञान लेते हुए देश के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एवं गृहमंत्री अमित शाह द्वारा राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से दूरभाष के जरिये वार्तालाप किया।
चमोली रैणी गांव में आयी आपदा के संबंध में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक जन सभा को सम्बोधित करते हुए कहा,कि आज हम माँ गंगा के एक छोर पर है, परन्तु जो माँ गंगा का उद्धगम क्षेत्र है वह उत्तराखंड इस वक्त जलप्रलय आपदा का सामना कर रहा है। यह घटना अत्यंत दुखद है और मैं भगवान से उत्तराखंड के लोगो की कुशलता की प्रार्थना करता हूँ।