
कोतवाली पौड़ी में जीबी पंत अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी संस्थान घुडदौड़ी के प्रभारी निदेशाल और इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन विभाग के विभागाध्यक्ष पर एक असिस्टेंट प्रोफेसर को खुदखुशी के लिए उकसाने के मामले में मुकदमा दर्ज किया है। इंजीनियरिंग कॉलेज घुड़दौड़ी की असिस्टेंट प्रोफेसर मनीषा भट्ट की आत्महत्या के मामले में मृतका के पति की शिकायत के आधार पर डीएम ने जो रिपोर्ट शासन को भेजी है, उसमें कई आरोप लगाए गए है।
मनीषा के पति संदीप भट्ट ने इस संबंध में श्रीनगर में तहरीर दी थी। कोतवाल गोविंद कुमार ने बताया, एसएसआई महेश रावत मामले की जांच कर रहे हैं। पुलिस की टीम ने कॉलेज पहुंचकर मृतका को आवंटित आवास व कार्यालय का निरीक्षण कर जरूरी दस्तावेज कब्जे में लिए हैं। घुड़दौड़ी इंजीनियरिंग कालेज के छात्र-छात्राओं, शिक्षकों और कर्मचारियों ने मनीषा के परिजनों को न्याय की मांग को लेकर संस्थान परिसर में कैंडल मार्च निकाला। उन्होंने कहा, मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।
एसएसपी पौड़ी श्वेता चौबे ने मीडिया को जानकारी दी है, कि मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए सीओ सदर की निगरानी में जांच टीम गठित की गई है। टीम को प्रकरण के हर पहलू की गंभीरता से जांच करने के निर्देश दिए है। मामले में जल्द ही कार्रवाई की जाएगी।
अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, शासन को भेजी गई रिपोर्ट में कहा गया है, मनीषा की नियुक्ति के बाद से ही उनका मानसिक उत्पीड़न शुरू कर दिया गया था। यहां तक की उन्हें गर्भावस्था के दौरान भी अवकाश के लिए परेशान किया गया। उन्हें बार-बार यह कहा जा रहा था कि प्रसव अवकाश तभी मंजूर होगा, जब वह वैकल्पिक प्रोफेसर की व्यवस्था कराएंगी। अवकाश न मिलने पर मनीषा ने आकस्मिक अवकाश लिया। इस बीच उन्होंने एक बेटी को जन्म दिया, लेकिन उसकी भी मृत्यु हो गई।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस सदमे से किसी प्रकार बाहर निकलकर बीती 12 मई को मनीषा ने संस्थान में उपस्थिति दर्ज कराई, लेकिन कॉलेज पहुंचने पर उन्हें ज्ञात हुआ, कि विभागाध्यक्ष ने उपस्थिति रजिस्टर से उनका नाम हटा दिया है। इसके साथ ही पदोन्नति के मामले में भी विभागाध्यक्ष ने कई बार के अनुरोध के बावजूद मनीषा की पदोन्नति की पत्रावली को आगे नहीं बढ़ाया।
इन सबसे व्यथित होकर मनीषा ने बीते गुरुवार को अलकनंदा श्रीनगर नैथाणा झूल पुल से नदी में कूद गईं थी। इस दौरान उन्हें रेस्क्यू कर अस्पताल पहुंचाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। डीएम पौड़ी ने शासन की भेजी रिपोर्ट में यह भी जानकारी दी है, कि विभागाध्यक्ष एके गौतम पहले गौतमबुद्ध विवि नोएडा में थे। वहां एक छात्रा से छेड़छाड़ के आरोप में उन्हें निष्कासित कर दिया गया था। वर्ष 2014 में भी उन पर छेड़छाड़ का आरोप लगा था। जिसे निदेशक डॉ वाई सिंह ने दबा दिया था।